आधुनिक विज्ञान और हमारा DXN स्वास्थ्य
आधुनिक विज्ञान और हमारा स्वास्थ्य,
आज हम स्वास्थ्य क्रान्ति के युग से गुजर रहे है सम्पूर्ण विश्व के साथ साथ भारत में भी स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ी है विभिन्न प्रकार की पैथियों और थेरपियों के द्वारा लोग अपने शरीर को स्वस्थ एव निरोग बनाने की कोशिश कर रहे हैं वेलनेस इन्स्टी ( स्वास्थ्य उद्योग ) आज खरब डॉलर के साथ सबसे तेजी से फलने फलने वाला उद्योग बन गया है लेकिन क्या वास्तव में हम रोगों पर विजय पाकर रोगमुक्त हो पा रहे हैं ? आज चाँद इन्सान के कदमो के नीचे और मंगल गई उसकी रथेली पर है लेकिन मनुष्य डायबिटीज जैसी आम बीमारी का इलाज नहीं खोज पाया एवी पर बैठ कर अंतरिक्ष में उहते हुए रॉकेट को कट्रोल करने वाला मानव अपने ब्लड प्रेशर और शुगर को कटोल नहीं कर सकता एक बटन दबाते ही समस्त संसार को ध्वस्त कर देने वाले घातक हथियार बनाने वाला मनुष्य आज एचआईवी एड्स के हाथों अपनी इम्रानिटी पूर्ण रूप से ध्वस्त करवा चुका है सारे ब्रह्माण्ड को जीतने का सपना देखने वाला इन्सान हदय लिवर और किडनी के रोगों से हार मान चुका है रोबोट से गुलामी की तरह काग लेने वाला मनुष्य आज गठिया और अस्थमा जैसे रोगों के हाथो जीवन भर की गुलागी लिखवा धुका है । विज्ञान की प्रगति के साथ - साथ हमारे शरीर में रोगों का आगमन भी बढ गया है क्या । असाध्य रोगों के सामने घुटने टेके इसी लाचारी और बेबसी का नाम जीवन है ? प्रतिस्पर्धा के इस दौर में हर व्यक्ति टेशन में जी रहा है आज हमारे पास सत्र कछ है केवल समय नहीं है खान का समय नहीं सोने जागने का समय नहीं वर्जिश व्यायाम का समय । नहीं तो अपने स्वास्थ्य के बारे में सोचने का समय कहाँ से होगा . हम चाहते हैं पहले पैसा क्रमा ले हाथ में पैसा होगा तो बीमार पड़ने पर महगा से महगा इलाज भी करवा लेंगे पैसा । आता भी है तो स्वास्थ्य को खोने के बाद नतीजा सारा पैसा डाक्टरों और दवाओं पर । खर्च हो जाता है रोग फिर भी जड़ से नहीं जाता ऐसे धन दौलत कमाने से क्या फायदा जिस का सुख ही न ले सकें
रोग होने के मूल कारणClick now
आज हम स्वास्थ्य क्रान्ति के युग से गुजर रहे है सम्पूर्ण विश्व के साथ साथ भारत में भी स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ी है विभिन्न प्रकार की पैथियों और थेरपियों के द्वारा लोग अपने शरीर को स्वस्थ एव निरोग बनाने की कोशिश कर रहे हैं वेलनेस इन्स्टी ( स्वास्थ्य उद्योग ) आज खरब डॉलर के साथ सबसे तेजी से फलने फलने वाला उद्योग बन गया है लेकिन क्या वास्तव में हम रोगों पर विजय पाकर रोगमुक्त हो पा रहे हैं ? आज चाँद इन्सान के कदमो के नीचे और मंगल गई उसकी रथेली पर है लेकिन मनुष्य डायबिटीज जैसी आम बीमारी का इलाज नहीं खोज पाया एवी पर बैठ कर अंतरिक्ष में उहते हुए रॉकेट को कट्रोल करने वाला मानव अपने ब्लड प्रेशर और शुगर को कटोल नहीं कर सकता एक बटन दबाते ही समस्त संसार को ध्वस्त कर देने वाले घातक हथियार बनाने वाला मनुष्य आज एचआईवी एड्स के हाथों अपनी इम्रानिटी पूर्ण रूप से ध्वस्त करवा चुका है सारे ब्रह्माण्ड को जीतने का सपना देखने वाला इन्सान हदय लिवर और किडनी के रोगों से हार मान चुका है रोबोट से गुलामी की तरह काग लेने वाला मनुष्य आज गठिया और अस्थमा जैसे रोगों के हाथो जीवन भर की गुलागी लिखवा धुका है । विज्ञान की प्रगति के साथ - साथ हमारे शरीर में रोगों का आगमन भी बढ गया है क्या । असाध्य रोगों के सामने घुटने टेके इसी लाचारी और बेबसी का नाम जीवन है ? प्रतिस्पर्धा के इस दौर में हर व्यक्ति टेशन में जी रहा है आज हमारे पास सत्र कछ है केवल समय नहीं है खान का समय नहीं सोने जागने का समय नहीं वर्जिश व्यायाम का समय । नहीं तो अपने स्वास्थ्य के बारे में सोचने का समय कहाँ से होगा . हम चाहते हैं पहले पैसा क्रमा ले हाथ में पैसा होगा तो बीमार पड़ने पर महगा से महगा इलाज भी करवा लेंगे पैसा । आता भी है तो स्वास्थ्य को खोने के बाद नतीजा सारा पैसा डाक्टरों और दवाओं पर । खर्च हो जाता है रोग फिर भी जड़ से नहीं जाता ऐसे धन दौलत कमाने से क्या फायदा जिस का सुख ही न ले सकें
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